सार्थक संवाद ही पत्रकारिता का मूल मंत्र : सुभाष जी

झांसी। पत्रकारिता के क्षेत्र में विश्वसनीयता कम हो रही है और विश्वास के बिना समाज,देश , दुनिया का चलना संभव नहीं है। श्रृद्धा जगाने का काम प्रोफेशन वाला नहीं कर सकता। पत्रकारिता एक मिशन हुआ करता था, जो कि अब प्रोफेशन बन गया है। यह विचार देवर्षि नारद जयंती के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक सुभाष जी ने व्यक्त किए। वहीं मुख्य अतिथि पद्मश्री उमाशंकर पांडेय ने कहा कि जल है तो कल है। अब जल और पर्यावरण पर भी पत्रकारिता आवश्यक है।

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जगतगुरु आदि शंकराचार्य

श्री शंकराचार्य : संक्षिप्त परिचय

  • श्री शंकराचार्य का जन्म 8वीं शताब्दी में हुआ था, उनका जन्म स्थान केरलमाना जाता है। उनके पिता का नाम शिवगुरु था। उनका मूल नाम शंकर था, लेकिन उन्हें श्री शंकराचार्य के रूप में प्रसिद्धि मिली।
  • श्री शंकराचार्य ने जल्द ही ज्ञान की प्राप्ति की और बालक के रूप में ही उनकी असाधारण विद्वत्ता का परिचय हो गया। उन्होंने भारतीय दर्शन और वेदांत के कई महत्वपूर्ण ग्रन्थों का अध्ययन किया और उन्होंने अद्वैत वेदांत पर विशेष ध्यान दिया।

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