गुरु पूर्णिमा : आषाढ़, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा

भारत में गुरुपूर्णिमा का पर्व केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा है – जो प्राचीन काल से हमारे जीवन और चिंतन का अभिन्न अंग रही है। यह पर्व न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का मूल स्रोत भी है। हमारे धर्मग्रंथों, महाकाव्यों, दर्शनों और लोक परंपराओं में गुरु का स्थान सर्वोच्च माना गया है – कहीं गुरु रूप में कोई संत, कहीं ऋषि-महर्षि, और कहीं स्वयं भगवान तक को प्रतिष्ठित किया गया है। और कहीं गुरु के रूप में केसरिया ध्वज — एक चेतन प्रतीक, जो त्याग, तप और तेज का प्रतिनिधि है।

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डॉक्टर जी ने जब संघ शुरू किया, तब साधन नहीं थे, साधन रत हृदय था : मिथिलेश नारायण

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ, कानपुर प्रांत का संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) का समापन कार्यक्रम आज सीएचएस गुरुकुलम, मेहरबान सिंह का पुरवा में आयोजित हुआ। इस अवसर पर मंच पर मुख्य अतिथि बाबा नामदेव जी गुरूद्वारा, किदवई नगर, कानपुर के प्रधान सेवक श्री सरदार नीतू सिंह जी, मुख्य वक्ता आरएसएस के क्षेत्र बौद्धिक शिक्षण प्रमुख, पूर्वी उत्तर प्रदेश श्री मिथिलेश नारायण जी, कानपुर दक्षिण के भाग संघचालक श्री राधेश्याम जी व संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) के सर्वाधिकारी श्री रामलखन जी उपस्थित रहे।

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श्री महावीर जयंती – चैत्र शुक्ल त्रयोदशी

जैन तीर्थंकर

श्री महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन, वर्तमान पटना शहर के नजदीक वैशाली (बिहार) में राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिसाला के यहाँ हुआ था। उनके माता-पिता ने उनका नाम वर्धमान रखा।

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