संत मीराबाई

मीराबाई जिन्हें राधा का अवतार भी माना जाता है, उनका जन्म संवत 1556-57 या 1498 A.D में, मौजूदा राजस्थान के एक छोटे से राज्य मारवाड़ के मेड़ता में स्थित कुरखी गांव में हुआ था। वह एक महान संत, हिंदू रहस्यवादी कवि और भगवान कृष्ण के भक्त के रूप में जानी जाती हैं।

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महर्षि वाल्मीकि जयंती – आश्विन शुक्ल पूर्णिमा

आज शायद ही ऐसा कोई भारतीय मिले, जो महर्षि वाल्मीकि के महाकाव्य ‘रामायण’ से परिचित न हो। ‘रामायण’ मानवीय आदर्शो का मार्गदर्शक महाकाव्य है, इसीलिए उसे मानवीयता का पथ-प्रदर्शक आदर्श काव्य माना जाता है। सारे संसार में समादरणीय बने इस महाकाव्य के लिए हर भारतीय अभिमान का अनुभव करे तो कोई आश्चर्य नहीं। संसार भर में सबसे प्राचीन महाकाव्य ‘रामायण’ को आदिकाव्य होने का गौरव प्राप्त होना स्वाभाविक है। इसी कारण भगवान्‌ श्री रामचंद्र के साधना चरित्र से जनता-जनार्दन परिचित हो सकी।

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स्वामी विवेकानंद : शिकागो भाषण, सितंबर 1893

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कैप्टन विक्रम बत्रा की जयंती पर उन्हें शत शत नमन

“ये दिल मांगे मोर!” – कारगिल युद्ध के ‘शेरशाह’ , परमवीर चक्र से सम्मानित शूर वीर, साहसी, माँ भारती के अमर सपूत कप्तान विक्रम बत्रा जी की जयंती पर नमन, जय हिन्द, जय भारत

श्री कृष्ण जन्माष्टमी (भाद्रपद, कृष्ण पक्ष, अष्टमी)

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌ ॥

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्‌ ।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥

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संत श्री ज्ञानेश्वर जयंती (भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी, 1332 विक्रम संवत)

संत श्री ज्ञानेश्वर महाराज और सामाजिक समरसता

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श्री स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती बलिदान स्मृति दिवस (23 अगस्त, 2008)

वेदांत केसरी स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती को 23 अगस्त, 2008 की रात को ईसाई मिशनरियों के षड्यंत्र से निर्दयतापूर्वक मार दिया गया था क्योंकि वह ईसाई मिशनरियों द्वारा असहाय वनवासियों का ईसाई धर्म में धर्मांतरण  का विरोध कर रहे थे और वनवासी बहुल उड़ीसा के कंधमाल जिले में स्थानीय वनवासियों के कल्याण के लिए काम कर रहे थे ।

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भक्ति-भण्डारी बसवेश्वर : (वि.सं. 1188-1224; ई. सन् 1131-1167)

महात्मा बसवेश्वर का जन्म कर्नाटक में हुआ था। अनेक विषयों का अध्ययन करने के पश्चात् भक्त बसवेश्वर कल्याण के राजा बिज्जल के यहाँ मन्त्री हो गए। उन्होंने उस समय के लिए अभिनन्दनीय प्रयास प्रारम्भ किए। उनके जीवन का सबसे उत्तम तथा श्लाघनीय कार्य यह है कि उन्होंने नव समाज रचना की दृष्टि से ‘अनुभव मण्डप नाम से एक लोकतान्त्रिक व्यवस्था वाला संघ खड़ा किया। किसी भी जाति के व्यक्ति को इसमें प्रवेश था। महिलाएँ भी इसकी सदस्य हो सकती थीं, किन्तु सदस्यों का सच्चरित्र होना आवश्यक था। ‘अनुभव मण्डप’ का ऐसा नियम था कि व्यक्तियों को जितना न्यूनतम आवश्यकता है उतना ही धन वह लें और शेष धन सामाजिक कार्यों में लगायें। अक्क महादेवी नामक एक योग्य संत कवयित्री भी ‘अनुभव मण्डप’ में थीं।

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देवर्षि नारद : लोक-कल्याण संचारक और संदेशवाहक

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समर्थ गुरु रामदास जयंती : चैत्र माह शुक्ल पक्ष नवमी 1665 वि.सं.

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