सुब्रमण्य भारती जयंती – 11 दिसंबर 1882

संक्षिप्त परिचय

यद्यपि लेखक, कवि, पत्रकार, भारतीय स्वतंत्रता के कार्यकर्ता, समाज सुधारक और बहुभाषाविद सुब्रमण्यम भारती का जीवन काल मात्र 39 वर्ष का ही रहा किन्तु इस अल्पकाल में उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी, कवि, सामाजिक और आध्यात्मिक सुधारक के रूप में जो योगदान दिया, वह अनुकरणीय और वंदनीय है। भारत के लिए उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियों द्वारा सदैव स्मरण किया जाएगा ।

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गीता जयंती

‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि’ 

संक्षिप्त परिचय

  • ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ समस्त विश्व के लिए आध्यात्मिक दीप स्तम्भ है। अध्यात्म भारत की आत्मा है जो पूरे विश्व के लिए अनमोल उपहार है। ‘गीता’ भारतीय अध्यात्म की सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध ग्रन्थ है। ‘गीता’ का प्रभाव देशकाल की सीमाओं में आबद्ध नहीं हैं बल्कि वैश्विक पटल पर गीता का प्रभाव परिलक्षित होता है।वर्तमान में हताश निराश एवं कर्मपथ से विमुख हो रही युवा पीढ़ी के लिए ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ अँधेरे में एक रौशनी के समान है। ‘गीता’ में बताये रास्ते का अनुसरण कर आज की युवा पीढ़ी नैतिक मूल्यों का विकास कर समाज एवं देश के विकास में अपना योगदान दे सकती है। ‘गीता’ का सन्देश देश और काल से परे है। प्राचीन कालीन कृषि आधारित समाज से लेकर परवर्ती काल में वाणिज्य और उद्योग आधारित समाज तक और उसके बाद भी ज्ञान एवं तर्क आधारित समाज तक ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ की प्रासंगिकता हर युग में रही है और आगे भी बनी रहेगी।

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संत नामदेव

संक्षिप्त परिचय

  • संत नामदेव भारत के सांस्कृतिक इतिहास, विशेष रूप से भक्ति परंपरा, के एक केंद्रीय व्यक्तित्व हैं। वे तेरहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में दक्कन के मराठी भाषी क्षेत्र में एक हिंदू परिवार में जन्मे थे।

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स्वामी विवेकानंद : शिकागो भाषण, सितंबर 1893

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