भगत सिंह और वीर सावरकर : एक दूसरे की कलम से

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श्री चैतन्य महाप्रभु : (वि. स. 1542 -1590 ; ई .सन 1485-1533)

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श्री दत्तोपंत जी ठेंगड़ी : संक्षिप्त जीवन परिचय

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श्रेष्ठ आध्यात्मिकता एवं समाजसेवा की प्रतिमूर्ति भगिनी निवेदिता – एक परिचय

1947- नेहरू के चलते जम्मू-कश्मीर का अधिमिलन खतरे में था, लेकिन सरदार पटेल ने इसको संभव कर दिखाया

सरदार पटेल के लिए कहा जाता है कि वे जम्मू और कश्मीर का भारत में अधिमिलन नहीं चाहते थे। जबकि दस्तावेजों के अनुसार सरदार पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस रियासत को भारत में शामिल करने की पहल की थी। यही नहीं, उन्होंने अधिमिलन को पुख्ता करने के लिए भी हरसंभव प्रयास किये थे। सरदार ने 3 जुलाई, 1947 को महाराजा हरि सिंह को एक पत्र लिखा और खुद को राज्य का एक ईमानदार मित्र एवं शुभचिंतक बताया। साथ ही महाराजा को आश्वासन दिया कि कश्मीर का हित, किसी भी देरी के बिना, भारतीय संघ और उसकी संविधान सभा में शामिल होने में निहित है।

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