गुरु पूर्णिमा : आषाढ़, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा

भारत में गुरुपूर्णिमा का पर्व केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा है – जो प्राचीन काल से हमारे जीवन और चिंतन का अभिन्न अंग रही है। यह पर्व न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का मूल स्रोत भी है। हमारे धर्मग्रंथों, महाकाव्यों, दर्शनों और लोक परंपराओं में गुरु का स्थान सर्वोच्च माना गया है – कहीं गुरु रूप में कोई संत, कहीं ऋषि-महर्षि, और कहीं स्वयं भगवान तक को प्रतिष्ठित किया गया है। और कहीं गुरु के रूप में केसरिया ध्वज — एक चेतन प्रतीक, जो त्याग, तप और तेज का प्रतिनिधि है।

पढ़ना जारी रखें “गुरु पूर्णिमा : आषाढ़, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा”

वर्षप्रतिपदा : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, 30 मार्च

  • हिन्दू पंचांग की प्रथम तिथि को ‘प्रतिपदा’ कहा जाता है। इसमें ‘प्रति’ का अर्थ है – सामने और ‘पदा’ का अर्थ है – पग बढ़ाना। नववर्ष का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल ‘प्रतिपदा’ से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है। आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यावहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है। इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है।

पढ़ना जारी रखें “वर्षप्रतिपदा : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, 30 मार्च”

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

पढ़ना जारी रखें “दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं”

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने विश्वभर के भारतीयों को दी दीपावली की मंगलकामनायें