पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम – तन समर्पित मन समर्पित, सुरुचि प्रकाशन, सांय 5:30 बजे से लाइव
आरएसएस और स्वतंत्रता संग्राम
बौद्धिकों का एक प्रभावशाली समूह, जो मानता है कि भारत का अस्तित्व 15 अगस्त को हुआ था, हमेशा स्वतंत्रता संग्राम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भूमिका पर सवाल उठाता है। वे इतिहास को छिपाने और यह तस्वीर पेश करने में अधिक रुचि रखते हैं कि आरएसएस कभी भी स्वतंत्रता संग्राम में शामिल नहीं था। बौद्धिक यह तर्क देने के आदी हो चुके हैं कि स्वतंत्रता महात्मा गांधी और कांग्रेस द्वारा किए गए प्रयासों का परिणाम थी।
आरएसएस ने महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन का बिना शर्त समर्थन किया था : माननीय श्री स्वांत रंजन जी
भारत विश्व का कल्याण चाहने वाला देश है – डॉ. मोहन भागवत जी
सीकर, 12 अगस्त। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि भारत दुनिया में धर्म देने वाला और विश्व का कल्याण चाहने वाला देश है। यहां वेदों में सभी शास्त्र निहित हैं, ऋषियों की तपस्या से राष्ट्र में बल और ओज का संचार हुआ है।
पढ़ना जारी रखें “भारत विश्व का कल्याण चाहने वाला देश है – डॉ. मोहन भागवत जी”
‘विश्व मूलनिवासी दिवस’ : भारत में प्रासंगिकता या विभाजन का षड्यंत्र?
हर साल 9 अगस्त को ‘विश्व मूलनिवासी दिवस’ दुनियाभर में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य उन मूलनिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा करना है, जिन पर उपनिवेशवाद या साम्राज्यवाद के दौरान अमानवीय अत्याचार हुए। परंतु प्रश्न यह है कि क्या यह दिवस भारत के लिए प्रासंगिक है? या इसे भारत के सामाजिक ताने-बाने में फूट डालने के षड्यंत्र के रूप में कुछ शक्तियाँ भुना रही हैं?
पढ़ना जारी रखें “‘विश्व मूलनिवासी दिवस’ : भारत में प्रासंगिकता या विभाजन का षड्यंत्र?”
शताब्दी वर्ष के निमित्त समाज की प्रमुख हस्तियों से संवाद करेगा संघ : सुनील आंबेकर
26, 27, 28 अगस्त को विज्ञान भवन में तीन दिवसीय व्याख्यानमाला
देश के चार महानगरों सहित 1000 से अधिक स्थानों पर गोष्ठियों का होगा आयोजन
पढ़ना जारी रखें “शताब्दी वर्ष के निमित्त समाज की प्रमुख हस्तियों से संवाद करेगा संघ : सुनील आंबेकर”
संस्कृत को राजाश्रय के साथ ही जनाश्रय भी मिले – डॉ. मोहन भागवत जी
आत्मनिर्भर भारत के लिए अपने ‘स्व’ को समझना होगा
नागपुर (01 अगस्त, 2025)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियाँ और देश का नेतृत्व हमें बता रहे हैं कि भारत को अब आत्मनिर्भर बनना चाहिए। हमें अपने बल पर प्रगति करनी होगी। सभी प्रकार के बल में वृद्धि होनी चाहिए। यदि हमें आत्मनिर्भर बनना है, तो हमें अपने स्व को पूरी तरह से समझना होगा।
पढ़ना जारी रखें “संस्कृत को राजाश्रय के साथ ही जनाश्रय भी मिले – डॉ. मोहन भागवत जी”
पूर्व प्रयत्न और संघ स्थापना
कोलकाता में त्रैलोक्यनाथ चक्रवर्ती प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे, बाद में वे दिल्ली आए। जब 1989 में हम लोगों ने डॉ. हेडगेवार जी की जन्मशताब्दी मनाई तो उस समय उनको शताब्दी समिति में लेने के लिए हमारे कार्यकर्ता उनके पास गए थे, उन्होंने सहमति दे दी। तब उन्होंने कहा – 1911 में एक बार डॉ. हेडगेवार मेरे घर आए थे। उस समय डॉ. हेडगेवार ने यह बात कही थी कि दादा लगता है, इस समाज को कुछ ट्रेनिंग देने की आवश्यकता है और यह ट्रेनिंग देने की फुर्सत किसी को नहीं है, सबने अपना-अपना काम चुन लिया है। मुझे लगता है कि यह काम मुझे ही करना पड़ेगा।
A Call for Educational Transformation from the Birthplace of Adi Shankaracharya
Kerala, 25 July 2025. The National Chintan Baithak of Shiksha Sanskriti Utthan Nyas was inaugurated by the RSS Sarsanghchalak Dr. Mohan Bhagwat Ji. On this occasion Swami Vivitananda Ji of Chinmaya Mission, President of the Nyas Dr. Pankaj Mittal Ji, Convenor A Vinod Ji, Sudarshan Ji of Chinmaya Mission were present.
पढ़ना जारी रखें “A Call for Educational Transformation from the Birthplace of Adi Shankaracharya”
