आरएसएस ने महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन का बिना शर्त समर्थन किया था : माननीय श्री स्वांत रंजन जी

पढ़ना जारी रखें “आरएसएस ने महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन का बिना शर्त समर्थन किया था : माननीय श्री स्वांत रंजन जी”

वीर सावरकर और महात्मा गाँधी

वीर सावरकर की जीवनी लिखने वाले प्रख्यात लेखक धनंजय कीर लिखते है, “समाज की भलाई के लिए कई बार दो महान लोग एक समय में अलग-अलग कार्य कर रहे होते हैं। इसमें एक व्यक्ति वह होता है, जोकि समाज के भलाई के लिए कष्ट सहन करता है और दूसरा उसकी बेहतरी का बीड़ा उठता है। गाँधी पहली तरह के व्यक्तियों में शामिल थे जबकि सावरकर दूसरी तरह के लोगों का नेतृत्व करते है।”[1] वीर सावरकर के अलावा लोकमान्य तिलक, डॉ. भीमराव आंबेडकर और ज्योतिराव फुले के भी जीवनीकार हैं।

पढ़ना जारी रखें “वीर सावरकर और महात्मा गाँधी”

1947- नेहरू के चलते जम्मू-कश्मीर का अधिमिलन खतरे में था, लेकिन सरदार पटेल ने इसको संभव कर दिखाया

सरदार पटेल के लिए कहा जाता है कि वे जम्मू और कश्मीर का भारत में अधिमिलन नहीं चाहते थे। जबकि दस्तावेजों के अनुसार सरदार पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस रियासत को भारत में शामिल करने की पहल की थी। यही नहीं, उन्होंने अधिमिलन को पुख्ता करने के लिए भी हरसंभव प्रयास किये थे। सरदार ने 3 जुलाई, 1947 को महाराजा हरि सिंह को एक पत्र लिखा और खुद को राज्य का एक ईमानदार मित्र एवं शुभचिंतक बताया। साथ ही महाराजा को आश्वासन दिया कि कश्मीर का हित, किसी भी देरी के बिना, भारतीय संघ और उसकी संविधान सभा में शामिल होने में निहित है।

पढ़ना जारी रखें “1947- नेहरू के चलते जम्मू-कश्मीर का अधिमिलन खतरे में था, लेकिन सरदार पटेल ने इसको संभव कर दिखाया”