भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु बलिदान दिवस

भगत सिंह का संक्षिप्त परिचय

भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 को हुआ। पढ़ाई के दौरान उनका संपर्क जुगल किशोर, भाई परमानन्द और जयचंद विद्यालंकार हुआ। साल 1923 में घर छोड़कर कानपुर चले गए। भगत सिंह हिंदी, उर्दू और पंजाबी तीनों भाषाओं के अच्छे जानकार थे। पंजाबी पत्रिका कीर्ति (अमृतसर), उर्दू में ‘अकाली और चाँद’ में उनके कई लेख प्रकाशित हुए। कानपुर में अपना नाम ‘बलवंत सिंह’ बदलकर गणेश शंकर विद्यार्थी के समाचार पत्र दैनिक ‘प्रताप’ के संपादन विभाग में काम किया। पुलिस की सक्रियता बढ़ने लगी और वह अलीगढ के एक स्कूल में पढ़ाने लगे।

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अखिल भारतीय प्रतिनिधि परिषद (एबीआईपीएस), बेंगलुरु – दूसरा दिन – प्रेस ब्रीफिंग, 12.45 बजे से

अखिल भारतीय प्रतिनिधि परिषद (एबीआईपीएस), बेंगलुरु – दूसरा दिन – प्रेस ब्रीफिंग

प्रेस ब्रीफिंग – अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीआईपीएस) बेंगलुरु का उद्घाटन दिवस

प्रेस ब्रीफिंग – अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीआईपीएस) बेंगलुरु का उद्घाटन दिवस, 9 बजे से

प्रेस ब्रीफिंग – अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीआईपीएस) बेंगलुरु का उद्घाटन दिवस

अ.भा. प्रचार प्रमुख, आरएसएस श्री सुनील आंबेकर जी द्वारा प्रेस ब्रीफिंग- अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा स्थल, बेंगलुरु 12.45 बजे से

अ.भा. प्रचार प्रमुख, आरएसएस श्री सुनील आंबेकर जी द्वारा प्रेस ब्रीफिंग- अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा स्थल, बेंगलुरु 12.45 बजे से

अ.भा. प्रचार प्रमुख, आरएसएस श्री सुनील आंबेकर जी द्वारा प्रेस ब्रीफिंग- अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा स्थल, बेंगलुरु 12.45 बजे से

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा-2022 के समापन पर मा. सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले जी की पत्रकार वार्ता

परंपराओं को मूलरूप में जीवित रखने का दायित्व नई पीढ़ी का : अनिल जी 

संघ कार्यालय माधव स्मृति भवन में जमकर खेली गई फूलों की होली

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21 मार्च से बैंगलुरु में होगी अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर ने बताया कि संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा इस वर्ष बैंगलुरु में 21, 22 एवं 23 मार्च 2025 को आयोजित हो रही है। संघ की कार्य पद्धति में यह निर्णय करने वाली सर्वोच्च इकाई है तथा इसका आयोजन प्रतिवर्ष होता है। यह बैठक बैंगलुरु के चन्नेनहल्ली में स्थित जनसेवा विद्या केंद्र परिसर में होगी।

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श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरुजी – संक्षिप्त जीवन परिचय

सदाशिव-लक्ष्मीबाई दम्पत्ति का आठवां अपत्य युगाब्द 5007 माघ कृष्ण एकादशी (उत्तर में पौष) मूल नक्षत्र में तदनुसार सन 19 फरवरी 1906 को, सोमवार ब्रह्म मुहूर्त पर नागपुर में मामाजी आबा रायकर के घर में जन्म  हुआ। तिथि, नक्षत्र आदि देखकर उस पुत्र का नाम माधव रखा गया।

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जितना भव्य भवन उतना भव्य कार्य खड़ा करना है : डॉ. मोहन भागवत

नई दिल्ली. ‘देश में संघ कार्य गति पकड़ रहा है, व्यापक हो रहा है। आज जिस पुनर्निर्मित भवन का यह प्रवेशोत्सव है उसकी भव्यता के अनुरूप ही हमें संघ कार्य का रूवरूप भव्य बनाना है और हमारे कार्य से उसकी अनुभुति होनी चाहिए। यह कार्य पूरे विश्व तक जाएगा और भारत को विश्वगुरु के पद पर आसीन करेगा, ऐसा हमें पूर्ण विश्वास है।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महाकुंभ जा रहे श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर

फतेहपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, खागा (फतेहपुर) के द्वारा क्षेत्र के प्रमुख हाईवे पर स्थित नवीन मण्डी स्थल के निकट महाकुंभ के लिए जा रहे व वहां से आने वाले श्रद्धालुओं को विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। 27 जनवरी से खागा और उसके आस-पास के स्वयंसेवकों के द्वारा यहां से गुजर रहे श्रद्धालुओं को भोजन व आवश्यकतानुसार चिकित्सकीय परामर्श व दवाईयां उपलब्ध कराई जा रही हैं।

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बालासाहेब देवरस जयंती (मार्गशीर्ष, शुक्ल पक्ष, पंचमी, विक्रम संवत 1972)

कार्यकारी सारांश

मधुकर दत्तात्रेय देवरस, जिन्हे बालासाहेब देवरस नाम से जाना जाता है, का जन्म दत्तात्रेय कृष्णराव देवरस और पार्वती बाई दंपति के यहाँ मार्गशीर्ष , शुक्ल पक्ष, पंचमी, १९७२, विक्रम संवत यानि 11 दिसंबर, १९१५  को हुआ था । बालासाहेब देवरस को स्वतंत्रता के बाद के भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण काल में राष्ट्रवादी चिंतन के एक दृढ़ स्तम्भ , जनसंघ (वर्तमान भारतीय जनता पार्टी की मातृ ) के उदय के शिल्पी और भारत भर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काम को अभूतपूर्व विस्तार देने तथा भारतीय राजनीति में आमूल-चूल परिवर्तन लाने के साथ-साथ, हिंदू समेकन, सामाजिक समानता और सद्भाव को नया आयाम देने के लिए स्मरण किया जाता है  ।

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