राजस्थान के श्रीगंगानगर का एक कारसेवक, जिसका नाम पता नहीं चल पाया

गोली लगते ही वह गिर पड़ा और उसने अपने खून से सड़क पर लिखा सीताराम। पता नहीं यह उसका नाम था या भगवान का स्मरण। मगर सड़क पर गिरने के बाद भी सुरक्षाबलों की टुकड़ी ने उसकी खोपड़ी पर सात गोलियाँ मारी।  किसी भी रामभक्त के पैर में गोली नहीं मारी गई। सबके सिर और सीने में गोली लगी। राम अचल गुप्ता का अखंड रामधुन बंद नहीं हो रहा था, उन्हें पीछे से गोली मारी गई। एक साधु आँसू गैस से परेशान लोगों के लिए बाल्टी से पानी फेंक रहे थे, उन्हें गोली मारी गई।

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