स्वामी दयानंद सरस्वती

स्वामी दयानंद का जन्म 12 फरवरी 1824 को गुजरात के टंकारा में हुआ था। इनका बचपन का नाम मूलशंकर था। परिवार सम्पन्न एवं प्रभावशाली था और पिता के मार्गदर्शन में मूलशंकर ने नीतिशास्त्र, साहित्य एवं व्याकरण का अध्ययन किया। उन्होंने 14 वर्ष की आयु में ही सम्पूर्ण यजुर्वेद संहिता को कंठस्थ कर लिया था।

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सुब्रमण्य भारती जयंती – 11 दिसंबर 1882

संक्षिप्त परिचय

यद्यपि लेखक, कवि, पत्रकार, भारतीय स्वतंत्रता के कार्यकर्ता, समाज सुधारक और बहुभाषाविद सुब्रमण्यम भारती का जीवन काल मात्र 39 वर्ष का ही रहा किन्तु इस अल्पकाल में उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी, कवि, सामाजिक और आध्यात्मिक सुधारक के रूप में जो योगदान दिया, वह अनुकरणीय और वंदनीय है। भारत के लिए उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियों द्वारा सदैव स्मरण किया जाएगा ।

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बालासाहेब देवरस जयंती (मार्गशीर्ष, शुक्ल पक्ष, पंचमी, विक्रम संवत 1972)

कार्यकारी सारांश

मधुकर दत्तात्रेय देवरस, जिन्हे बालासाहेब देवरस नाम से जाना जाता है, का जन्म दत्तात्रेय कृष्णराव देवरस और पार्वती बाई दंपति के यहाँ मार्गशीर्ष , शुक्ल पक्ष, पंचमी, १९७२, विक्रम संवत यानि 11 दिसंबर, १९१५  को हुआ था । बालासाहेब देवरस को स्वतंत्रता के बाद के भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण काल में राष्ट्रवादी चिंतन के एक दृढ़ स्तम्भ , जनसंघ (वर्तमान भारतीय जनता पार्टी की मातृ ) के उदय के शिल्पी और भारत भर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काम को अभूतपूर्व विस्तार देने तथा भारतीय राजनीति में आमूल-चूल परिवर्तन लाने के साथ-साथ, हिंदू समेकन, सामाजिक समानता और सद्भाव को नया आयाम देने के लिए स्मरण किया जाता है  ।

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गुरु तेगबहादुर जी (1621-1675 ई.) वैशाख कृष्ण पंचमी 1678-मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी 1732 विक्रम संवत’

संक्षिप्त परिचय

  • विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय आदर्शों, मूल्यों एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेगबहादुर जी का अद्वितीय स्थान है। एक आततायी शासक की धर्म विरोधी और वैचारिक स्वतंत्रता का दमन करने वाली नीतियों के विरुद्ध समाज के सबसे शांत और अहिंसक व्यक्ति तक का क्या दायित्व बनता है- श्री गुरु तेगबहादुर जी का जीवन और उसकी रक्षा के लिए उनके द्वारा किया गया अपना सर्वोच्च बलिदान, इसका एक अभूतपूर्व ऐतिहासिक उदाहरण है। सनातन हिन्दू स्वधर्म का पालन करते हुए इसकी रक्षा हेतु डाली गई आहुति लोगों में निर्भीक आचरण, धार्मिक अडिगता और नैतिक उदारता के कितने उच्चतम प्रतिमान पुनर्स्थापित कर सकती है, इसे समझने के लिए गुरु तेगबहादुर से बेहतर कोई और व्यक्तित्व मिलना दुष्कर हैं।

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महावीर लाचित बरफुकन, जन्म तिथि : षष्ठी, कृष्ण पक्ष, मार्गशीर्ष, 1679 – विक्रम संवत् (24 नवंबर, 1622)

पूर्वोत्तर के वीर शिवाजी महावीर लाचित बरफुकन

अपनी असाधारण वीरता के कारण पूर्वोत्तर भारत के ‘वीर शिवाजी’ कहे जाने वाले लाचित बरफुकन 17वीं शताब्दी के एक महान सेनापति और वीर योद्धा थे। असम के अहोम साम्राज्य के सेनापति लाचित बरफुकन ने 1667 ई. में मुगल बादशाह औरंगजेब की सेना को सराईघाट के युद्ध में पराजित कर पूर्वोत्तर में अहोम साम्राज्य को शत्रुओं से संरक्षित करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया था।

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धर्मयोद्धा : भगवान बिरसा मुंडा

भारत में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों और योद्धाओं की एक दीर्घ परंपरा रही है और स्वतंत्रता संग्राम में उसका अविस्मरणीय योगदान है। इतिहास और राष्ट्रीय संदर्भ में बिरसा मुंडा ऐसा व्यक्तित्व है, जिसने तत्कालीन जनजातीय समाज की परिसीमितता की परिधि को तोड़कर राष्ट्र और धर्म के परिप्रेक्ष्य में ऐसा अमूल्य योगदान दिया जो किसी भी प्रकार से स्वतंत्रता आंदोलन के हमारे अन्य नायकों, विचारकों और चिंतकों के योगदान से कम नहीं है।

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गुरु नानक देव जी की आध्यात्मिक यात्राएँ

गुरु नानक जी की दिव्य आध्यात्मिक यात्राओं को उदासी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि गुरु नानक जी दुनिया के दूसरे सबसे अधिक यात्रा करने वाले व्यक्ति हैं। उनकी अधिकांश यात्राएँ उनके साथी भाई मर्दाना जी के साथ पैदल ही की गई थीं। उन्होंने सभी चार दिशाओं – उत्तर, पूर्व, पश्चिम की यात्राओं को एक अभिलेख के रूप में जाता है। वैसे ऐसे भी अभिलेख हैं जो इस बात का संकेत करते है कि गुरु नानक जी ने सबसे अधिक यात्राएं की थी।

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संत नामदेव

संक्षिप्त परिचय

  • संत नामदेव भारत के सांस्कृतिक इतिहास, विशेष रूप से भक्ति परंपरा, के एक केंद्रीय व्यक्तित्व हैं। वे तेरहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में दक्कन के मराठी भाषी क्षेत्र में एक हिंदू परिवार में जन्मे थे।

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श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी जयंती – 10 नवंबर 1920

संक्षिप्त परिचय

दत्तात्रेय बापूराव जी को ही दत्तोपंत ठेंगड़ी के नाम से जाना जाता है, वह एक बुद्धिजीवी, संगठनकर्ता, दार्शनिक, विचारक और उत्कृष्ट वक्ता थे। उनका जन्म हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक अमावस्या विक्रम संवत १९७७ अर्थात ग्रेगोरियन कैलेंडर के 10 नवंबर, 1920 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के अरवी ग्राम में हुआ था।

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भगिनी निवेदिता जयंती – 28 अक्टूबर 1867

संक्षिप्त परिचय

भगिनी निवेदिता का पूर्वनाम था – मार्गरेट एलिज़ाबेथ नोबल। उत्तर आयरलैण्ड के डानगैनन नामक एक छोटे-से शहर में 28 अक्टूबर 1867 को उनका जन्म हुआ। उनके पिता  सेमुएल रिचमण्ड नोबल तथा माता का नाम मेरी इसाबेल था। केवल दस वर्ष की आयु में उनके पिता की मृत्यु के उपरान्त अभिभावक का दायित्व-पालन नाना हैमिल्टन ने किया। हैमिल्टन आयरलैण्ड के स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक विशिष्ट नेता थे।

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