नागपुर. जनार्दन मून और पाशा नामक स्वयंघोषित एक्टिविस्ट द्वारा विगत दिनों नागपुर सिविल लाईन्स स्थित प्रेस क्लब में पत्रकार परिषद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम का उपयोग करते हुए मनगढ़ंत दावे किए थे. समाज तथा स्वयंसेवकों में संभ्रम निर्माण करने के कृत्य को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत के साथ ही, सीताबर्डी पुलिस थाने में उपरोक्त व्यक्तियों के खिलाफ अपराध दर्ज करवाया था. इस आपराधिक मामले को निरस्त करवाने के उद्देश्य से दोनों ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी. न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की खंडपीठ ने जनार्दन मून की याचिका खारिज कर दी.
संविधान की आत्मा भारतीय है
– “संविधान की आत्मा : भारतीय संस्कृति”