नागपुर, 30 मार्च। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागपुर स्थित माधव नेत्रालय चैरिटेबल ट्रस्ट के माधव नेत्रालय के नए प्रीमियर सेन्टर के शिलान्यास समारोह में कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने निराशा में डूबे भारतीय समाज को झकझोरा, उसके स्वरूप की याद दिलाई, आत्मविश्वास का संचार किया और राष्ट्रीय चेतना को बुझने नहीं दिया।
वर्षप्रतिपदा : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, 30 मार्च
- हिन्दू पंचांग की प्रथम तिथि को ‘प्रतिपदा’ कहा जाता है। इसमें ‘प्रति’ का अर्थ है – सामने और ‘पदा’ का अर्थ है – पग बढ़ाना। नववर्ष का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल ‘प्रतिपदा’ से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है। आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यावहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है। इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है।
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डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी
डॉ केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1889 को नागपुर में प्रतिपदा के दिन हुआ था। वर्ष प्रतिपदा को महाराष्ट्र में ‘गुड़ीपड़वा’ के नाम से जाना जाता है। ‘यह दिन हिंदू मन, हृदय और विवेक को भारत के इतिहास के घटनाचक्र, राष्ट्र की अस्मिता, सांस्कृतिक परंपराओं एवं वीर तथा वैभवशाली पूर्वजों की विरासत का यशस्वी बोध कराता है’।[1]
संघ शताब्दी के उपलक्ष्य में संकल्प
विश्व शांति और समृद्धि के लिए समरस और संगठित हिन्दू समाज का निर्माण
स्वतंत्रता सेनानी महारानी अबक्का के जन्म की 500वीं वर्षगांठ के अवसर पर माननीय सरकार्यवाह जी का वक्तव्य
भारत की महान महिला स्वतंत्रता सेनानी उल्लाल महारानी अबक्का एक कुशल प्रशासक, अजेय रणनीतिकार और महापराक्रमी शासक थी। उन्होंने उल्लाल संस्थान, दक्षिण कन्नड (कर्नाटक) पर सफलतापूर्वक शासन किया था। उनके जन्म की 500वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनकी अजेय विरासत को ह्रदय से विनम्र श्रद्धासुमन अर्पण करता है।
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले द्वारा अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) बेंगलुरु में प्रेस कॉन्फ्रेंस – 23 मार्च, 2025, 11.30 बजे से
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले द्वारा अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) बेंगलुरु में प्रेस कॉन्फ्रेंस
अ. भा. प्र. स. प्रस्ताव – बांग्लादेश के हिंदू समाज के साथ एकजुटता से खड़े रहने का आह्वान
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु बलिदान दिवस
भगत सिंह का संक्षिप्त परिचय
भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 को हुआ। पढ़ाई के दौरान उनका संपर्क जुगल किशोर, भाई परमानन्द और जयचंद विद्यालंकार हुआ। साल 1923 में घर छोड़कर कानपुर चले गए। भगत सिंह हिंदी, उर्दू और पंजाबी तीनों भाषाओं के अच्छे जानकार थे। पंजाबी पत्रिका कीर्ति (अमृतसर), उर्दू में ‘अकाली और चाँद’ में उनके कई लेख प्रकाशित हुए। कानपुर में अपना नाम ‘बलवंत सिंह’ बदलकर गणेश शंकर विद्यार्थी के समाचार पत्र दैनिक ‘प्रताप’ के संपादन विभाग में काम किया। पुलिस की सक्रियता बढ़ने लगी और वह अलीगढ के एक स्कूल में पढ़ाने लगे।
अ. भा. प्र. स. प्रस्ताव – बांग्लादेश के हिंदू समाज के साथ एकजुटता से खड़े रहने का आह्वान
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर इस्लामी कट्टरपंथी तत्वों द्वारा लगातार हो रही सुनियोजित हिंसा, अन्याय और उत्पीड़न पर गहरी चिंता व्यक्त करती है। यह स्पष्ट रूप से मानवाधिकार हनन का गम्भीर विषय है।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि परिषद (एबीआईपीएस), बेंगलुरु – दूसरा दिन – प्रेस ब्रीफिंग, 12.45 बजे से
अखिल भारतीय प्रतिनिधि परिषद (एबीआईपीएस), बेंगलुरु – दूसरा दिन – प्रेस ब्रीफिंग
प्रेस ब्रीफिंग – अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीआईपीएस) बेंगलुरु का उद्घाटन दिवस
प्रेस ब्रीफिंग – अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीआईपीएस) बेंगलुरु का उद्घाटन दिवस, 9 बजे से
प्रेस ब्रीफिंग – अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीआईपीएस) बेंगलुरु का उद्घाटन दिवस