शक्ति हो तो विश्व प्रेम और मंगल की भाषा सुनता है – डॉ. मोहन भागवत जी

जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि दुनिया तब ही आपको सुनती है, जब आपके पास शक्ति हो। भारत विश्व का सबसे प्राचीन देश है। उसकी भूमिका बड़े भाई की है। भारत विश्व में शांति और सौहार्द के लिए कार्य कर रहा है। सरसंघचालक जी शनिवार को जयपुर के हरमाडा स्थित रविनाथ आश्रम में आयोजित रविनाथ महाराज की पुण्यतिथि के कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे।

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कानपुर में संघ शिक्षा वर्ग हेतु भूमि पूजन हुआ सम्पन्न

कार्यकर्ताओं में सर्वांगीण प्रवीणता लाने हेतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रशिक्षण वर्गों का आयोजन करता है। इन वर्गों से प्रशिक्षित स्वयंसेवक संघ की कार्य पद्धति से भली भांति परिचित होते हैं और आगे चलकर यही स्वयंसेवक राष्ट्र की सेवा में अपना तन मन धन लगा देते हैं, उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचारक श्रीराम जी ने रविवार को मेहरबान सिंह पुरवा स्थित सीo एचo एसo गुरुकुलम में वर्ग व्यवस्था संचालन टोली की बैठक में व्यक्त किये।

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हमीरपुर में मनाई गई आद्य पत्रकार नारद जी की जयंती

मौदहा, हमीरपुर। सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में प्रचार विभाग हमीरपुर की ओर से नारद जयंती का कार्यक्रम मनाया गया। उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता मौदहा प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश अवस्थी ने की। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार एवं मौदहा प्रेस क्लब के निदेशक मनोज त्रिपाठी ने कहा कि ब्रम्हा जी के मानस पुत्र नारद जी आद्य पत्रकार के रूप में जाने जाते हैं, उनके द्वारा सतयुग,द्वापर व त्रेतायुग में समाचारों का आदान प्रदान किया जाता था। इनको असुर व देवताओं के समाचार वाहक के रूप में भी जाना जाता है, नारद जी को पृथ्वी का प्रथम पत्रकार माना जाता है। इस मौके पर मौदहा प्रेस क्लब के संस्थापक अरुण शुक्ला ने भी अपने विचार व्यक्त किए। जिला प्रचार प्रमुख भारत सिंह ने अतिथियों का परिचय कराया एवं आभार व्यक्त किया। इस मौके पर रमैया प्रजापति, मातादीन प्रजापति, रईस उद्दीन, नवल किशोर, लाला मास्टर मोहम्मद इस्लाम आदि पत्रकार बन्धु उपस्थित रहे।

देवर्षि नारद जयन्ती – ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया

भारत की भूमि संतों की भूमि है। भारत अपनी सनातनी परंपरा के द्वारा ही विकसित हुआ है। भारत का मौलिक स्वरूप आध्यात्मिक है। ज्ञान के प्रति निष्ठावान लोगों की भूमि ही भारत है।  इसलिए भारत का जनजीवन, भारत की लोक परम्पराएँ, भारत की संस्कृति, भारत की राजनीति सभी का मूल भारत की आध्यात्मिक परंपरा में खोजा जा सकता है। यही कारण है कि आज भी भारत के जनमानस में भारत के संतों और आध्यात्मिक गुरुओं के प्रति विशेष सम्मान और श्रद्धा दिखाई देती है।

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देश के 857 जिलों में आरोग्य भारती का विस्तार – डा० अशोक कुमार वार्ष्णेय

कानपुर, 4 मई। आरोग्य भारती स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करने वाला एक सेवा संगठन है। विज्ञान व तकनीकी के उत्तरोत्तर विकास के कारण व्यक्तियों के रहन-सहन, आहार-विहार, कार्यशैली, सोचने की पद्धति आदि में निरंतर परिवर्तन हो रहा है। विकृत जीवन शैली के कारण जीवन शैली जनित रोग एवं मानसिक तनाव संबंधी रोग बढ़ रहे हैं।

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जगतगुरु आदि शंकराचार्य

श्री शंकराचार्य : संक्षिप्त परिचय

  • श्री शंकराचार्य का जन्म 8वीं शताब्दी में हुआ था, उनका जन्म स्थान केरलमाना जाता है। उनके पिता का नाम शिवगुरु था। उनका मूल नाम शंकर था, लेकिन उन्हें श्री शंकराचार्य के रूप में प्रसिद्धि मिली।
  • श्री शंकराचार्य ने जल्द ही ज्ञान की प्राप्ति की और बालक के रूप में ही उनकी असाधारण विद्वत्ता का परिचय हो गया। उन्होंने भारतीय दर्शन और वेदांत के कई महत्वपूर्ण ग्रन्थों का अध्ययन किया और उन्होंने अद्वैत वेदांत पर विशेष ध्यान दिया।

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जो अपने को हिंदू कहता है सबसे पहले इस देश के प्रति उसकी जवाबदेही है : डॉ. मोहन भागवत

कानपुर में कारवालों नगर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्तीय कार्यालय का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक परम पूजनीय डॉक्टर मोहन भागवत के करकमलों द्वारा संपन्न हुआ। साथ ही साथ डॉक्टर भागवत ने संघ कार्यालय में नवनिर्मित भव्य पूज्य बाबा साहब भीमराव अंबेडकर सभागार का भी उद्घाटन किया।

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श्री महावीर जयंती – चैत्र शुक्ल त्रयोदशी

जैन तीर्थंकर

श्री महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन, वर्तमान पटना शहर के नजदीक वैशाली (बिहार) में राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिसाला के यहाँ हुआ था। उनके माता-पिता ने उनका नाम वर्धमान रखा।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट है : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नागपुर, 30 मार्च। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागपुर स्थित माधव नेत्रालय चैरिटेबल ट्रस्ट के माधव नेत्रालय के नए प्रीमियर सेन्टर के शिलान्यास समारोह में कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने निराशा में डूबे भारतीय समाज को झकझोरा, उसके स्वरूप की याद दिलाई, आत्मविश्वास का संचार किया और राष्ट्रीय चेतना को बुझने नहीं दिया।

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वर्षप्रतिपदा : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, 30 मार्च

  • हिन्दू पंचांग की प्रथम तिथि को ‘प्रतिपदा’ कहा जाता है। इसमें ‘प्रति’ का अर्थ है – सामने और ‘पदा’ का अर्थ है – पग बढ़ाना। नववर्ष का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल ‘प्रतिपदा’ से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है। आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यावहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है। इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है।

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