संत नारायण गुरु जयंती पर विशेष

रवीन्द्रनाथ ठाकुर : “मैंने संसार के विभिन्‍न भागों की यात्रा की है। इस यात्रा में मुझे अनेक संत और ऋषियों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। परन्तु, यह सत्य है कि मुझें कोई ऐसा आध्यात्मिक व्यक्तित्व नहीं मिला जो केरल के श्री नारायण गुरु से महान हो। और न ही कोई ऐसा व्यक्तित्व मुझे ऐसा मिला है जिसने इनके समान आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त की हो। मुझे विश्वास है कि मैं उस तेजस्वी व्यक्तित्व को कभी नहीं मूल सकता जो देवी आलोक के स्वप्रकाश से दैदीप्यमान हो। मैं उन योगी नेत्रों को भी नहीं भूल सकता जो दूर क्षितिज में स्थिर अनिर्मेष भाव से स्थिर थीं।“[1]

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