देवर्षि नारद जयन्ती – ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया

भारत की भूमि संतों की भूमि है। भारत अपनी सनातनी परंपरा के द्वारा ही विकसित हुआ है। भारत का मौलिक स्वरूप आध्यात्मिक है। ज्ञान के प्रति निष्ठावान लोगों की भूमि ही भारत है।  इसलिए भारत का जनजीवन, भारत की लोक परम्पराएँ, भारत की संस्कृति, भारत की राजनीति सभी का मूल भारत की आध्यात्मिक परंपरा में खोजा जा सकता है। यही कारण है कि आज भी भारत के जनमानस में भारत के संतों और आध्यात्मिक गुरुओं के प्रति विशेष सम्मान और श्रद्धा दिखाई देती है।

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