संघ को समझना है तो शाखा आओ : श्रीराम

कानपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्ष भर में 6 उत्सव मनाता है, जिसमें से तीन उत्सव सम्पूर्ण समाज को जोड़ने एवं तीन उत्सव शौर्य, वीरता व पराक्रम के प्रतीक हैं। उनमें से विजयादशमी पर्व भी है। इसी दिन डा० हेडगेवार जी ने संघ की स्थापना हिन्दू समाज को संगठित करने एवं भारत माता का वैभव पुनः स्थापित करने हेतु की थी। यदि किसी को संघ समझना है, तो उसे शाखा आना जरूरी है। हम व्यक्ति पूजा नहीं बल्कि भारत माता की जय जयकार करते हैं। शाखा में खेल-खेल में देश के लिए कार्य करने का भाव जाग्रत होता है।

उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचारक श्रीराम जी ने केशव शाखा, केशव नगर में आयोजित विजयादशमी उत्सव में शस्त्र पूजन कर व्यक्त किये। उन्होंने आगे कहा कि भगवान राम ने शबरी के बेर खाकर समरसता का भाव, जटायु का अन्तिम संस्कार कर सेवा का भाव व बालि को मारकर नारी सम्मान का सन्देश दिया था। प्रान्त प्रचारक ने स्वयंसेवकों को पाँच करणीय कार्य बताये, जिसमें समरसता के अंतर्गत सेवा बस्ती गोद लेना, पर्यावरण के अंतर्गत जन्मदिन पर एक पौधा लगाना, परिवार प्रबोधन के अंतर्गत स्नेह व संस्कार देना, स्व के भाव के अंतर्गत स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करना एवं नागरिक कर्तव्य के अंतर्गत देश हित के कार्य करना है। उत्सव की अध्यक्ष‌ता समाजसेवी एवं व्यवसायी श्रवण शुक्ला ने की। इस अवसर पर प्रान्त व्यवस्था प्रमुख विकास गुप्ता, सह विभाग कार्यवाह अंकुर दीक्षित, नगर संघ चालक मा० प्रबल प्रताप सिंह, भाग सह कार्यवाह सुशील अवस्थी, रजनीकान्त, संस्कार शुक्ला, प्रकर्ष वाजपेई, उत्कर्ष व योगेन्द्र सचान आदि उपस्थित रहे।

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