उपासना पद्धति अलग हो सकती है, लेकिन हमारे पूर्वज और मूल एक ही हैं – दत्तात्रेय होसबाले जी

संतकबीरनगर। हिन्दू समाज की एकता, सामाजिक समरसता एवं सांस्कृतिक चेतना को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से मंगलवार को जनपद में हिन्दू सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी रहे। उन्होंने सामाजिक एकता, राष्ट्रहित और संगठनात्मक चेतना पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता संत कबीर मठ मगहर के महंत विचार दास जी ने की।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि चरित्र निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण संभव है। भारत की सांस्कृतिक जड़ें एक हैं, उपासना पद्धति अलग हो सकती है, लेकिन हमारे पूर्वज और मूल एक ही हैं। यहां राष्ट्र की रक्षा ही धर्म की रक्षा है, क्योंकि धर्म केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति है। उन्होंने समाज के समक्ष सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन, स्वदेशी और नागरिक कर्तव्य को जीवन में उतारने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि चरित्र निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण संभव है। संगठित समाज ही राष्ट्र को परम वैभव पर ले जा सकता है। सरकार्यवाह जी ने कहा कि संघ इस प्राचीन राष्ट्र को आधुनिक काल में परम वैभव पर ले जाने के लिए प्रयत्नशील है। उन्होंने संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के विचारों को रेखांकित करते हुए स्पष्ट किया कि केवल व्यक्ति का अच्छा होना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसमें राष्ट्रबोध और समाज बोध होना भी आवश्यक है।

व्यक्तिगत चरित्र से राष्ट्रीय चरित्र को लक्ष्य बनाकर ही संघ और शाखा की संकल्पना की गई है।

हिन्दू सम्मेलन में साधु-संत, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रमुख जन व समाज की सहभागिता रही। इसका उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों को एक मंच पर लाकर आपसी बंधुत्व, सहयोग तथा सांस्कृतिक मूल्यों को मजबूती प्रदान करना है।

कार्यक्रम स्थल को भगवामय रूप में सजाया गया। मंच पर प्रभु श्रीराम की आकर्षक झांकी सजाई गई। छात्राओं द्वारा सुंदर रंगोली व सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। सम्मेलन से हिन्दू समाज में नई ऊर्जा, जागरूकता और एकता का संदेश प्राप्त हुआ।

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