गुरु तेगबहादुर जी (1621-1675 ई.) वैशाख कृष्ण पंचमी 1678-मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी 1732 विक्रम संवत’

संक्षिप्त परिचय

  • विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय आदर्शों, मूल्यों एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेगबहादुर जी का अद्वितीय स्थान है। एक आततायी शासक की धर्म विरोधी और वैचारिक स्वतंत्रता का दमन करने वाली नीतियों के विरुद्ध समाज के सबसे शांत और अहिंसक व्यक्ति तक का क्या दायित्व बनता है- श्री गुरु तेगबहादुर जी का जीवन और उसकी रक्षा के लिए उनके द्वारा किया गया अपना सर्वोच्च बलिदान, इसका एक अभूतपूर्व ऐतिहासिक उदाहरण है। सनातन हिन्दू स्वधर्म का पालन करते हुए इसकी रक्षा हेतु डाली गई आहुति लोगों में निर्भीक आचरण, धार्मिक अडिगता और नैतिक उदारता के कितने उच्चतम प्रतिमान पुनर्स्थापित कर सकती है, इसे समझने के लिए गुरु तेगबहादुर से बेहतर कोई और व्यक्तित्व मिलना दुष्कर हैं।

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देश में विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर मनाएंगे गुरु तेगबहादुर जी का 400वां प्रकाश वर्ष – डॉ. रमेशचंद्र अग्रवाल

जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर पश्चिम क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेशचंद्र अग्रवाल ने बताया कि संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल ने सिक्ख पंथ के नवम गुरु, गुरु तेगबहादुर जी का 400वां प्रकाश वर्ष विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर मनाने का निर्णय लिया है. गुरु तेगबहादुर का जन्म 1621 में हुआ था.

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