विचारों की स्पर्धा हो सकती है, लेकिन सबका मन एक रहना जरूरी है – डॉ. मोहन भागवत जी

कोलकाता व्याख्यानमाला  – 100 वर्ष की संघ यात्रा नए क्षितिज

दिनांक – 21 दिसंबर, 2025, द्वितीय सत्र

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अन्तर्निहित एकता की बात हमारी संस्कृति में चलती आई है – डॉ. मोहन भागवत जी

कोलकाता व्याख्यानमाला  – 100 वर्ष की संघ यात्रा नए क्षितिज

दिनांक – 21 दिसंबर, 2025, प्रथम सत्र

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संघ किसी का विरोध करने या अपने लिए कुछ प्राप्त करने के उद्देश्य से आरंभ नहीं हुआ – डॉ. मोहन भागवत जी

सिलीगुड़ी – संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन आयोजित

सिलीगुड़ी, 19 दिसंबर 2025।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने सिलीगुड़ी स्थित उत्तर बंग मारवाड़ी भवन में आयोजित प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन को संबोधित किया। एक यह दिवसीय सम्मेलन संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य़ में उत्तर बंग प्रांत द्वारा आयोजित किया गया।

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संघ भारतीय महापुरुषों के विचारों और अनुभूतियों के सार को व्यवहार में उतारने की प्रक्रिया है – डॉ. मोहन भागवत जी

सिलीगुड़ी, 18 दिसंबर 2025। संघ शताब्दी वर्ष के निमित्त सिलीगुड़ी में युवा सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें उत्तर बंगाल के आठ जिलों से बड़ी संख्या में युवक-युवतियों के साथ-साथ पड़ोसी राज्य सिक्किम से भी युवा सम्मेलन में शामिल हुए।

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संघ स्वस्थ समाज और सशक्त राष्ट्र के निर्माण हेतु कार्य करता है: डॉ. मोहन भागवत जी

प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन का आयोजन

अंडमान एवं निकोबार, 14 दिसंबर 2025।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में अंडमान एवं निकोबार विभाग द्वारा 14 दिसंबर 2025 को डी.बी.आर.ए.आई.टी. ऑडिटोरियम में “प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन” का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

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संविधान में सभी को साथ लेकर चलने की भावना निहित है – डॉ. मोहन भागवत जी

पट्टी कल्याण, समालखा. अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा 05 से 07 दिसंबर 2025 तक माधव सेवा न्यास, पट्टी कल्याण, समालखा (पानीपत) में ‘भारतीय इतिहास, संस्कृति और संविधान’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। सरसंघचालक जी भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद द्वारा ‘जम्मू-काश्मीर-लद्दाख’ पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन एवं अवलोकन किया।

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देशभक्ति और देवभक्ति अलग-अलग नहीं – डॉ. मोहन भागवत जी

नागपुर, १० सितम्बर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि देवभक्ति और देशभक्ति, यह दो शब्द भले ही अलग दिखते हों, लेकिन हमारे देश में यह शब्द अलग नहीं है। जो वास्तविक देवभक्ति करेगा, वह देश की भी भक्ति करेगा। और जो प्रामाणिकता से देशभक्ति करेगा, उससे भगवान देवभक्ति भी करवा लेंगे। यह तर्क नहीं है, अनुभव की बात है। सरसंघचालक जी आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा नागपुर के मानकापुर क्रीडा स्टेडियम में आयोजित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग महारुद्र पूजा के अवसर पर संबोधित कर रहे थे। इस दौरान मंच पर आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर जी भी उपस्थित थे।

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100 वर्ष की संघ यात्रा – नए क्षितिज : तृतीय दिवस

100 वर्ष की संघ यात्रा – नए क्षितिज : तृतीय दिवस

अंतरराष्ट्रीय व्यापार केवल स्वेच्छा से होना चाहिए, दबाव में नहीं – डॉ. मोहन भागवत जी

संघ का कार्य शुद्ध सात्त्विक प्रेम और समाजनिष्ठा पर आधारित है – सरसंघचालक जी

तीन दिवसीय व्याख्यानमाला ‘100 वर्ष की संघ यात्रा – नए क्षितिज’ का दूसरा दिन

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संघ का निर्माण भारत को केंद्र में रखकर हुआ है और इसकी सार्थकता भारत के विश्वगुरु बनने में है – डॉ. मोहन भागवत जी

नई दिल्ली, 26 अगस्त. संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के प्रथम दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि संघ का निर्माण भारत को केंद्र में रखकर हुआ है और इसकी सार्थकता भारत के विश्वगुरु बनने में है। संघ कार्य की प्रेरणा संघ प्रार्थना के अंत में कहे जाने वाले “भारत माता की जय” से मिलती है। संघ के उत्थान की प्रक्रिया धीमी और लंबी रही है, जो आज भी निरंतर जारी है।

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