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हमें छुआछूत के भाव को पूरी तरह मिटा देना है : डॉ. मोहन भागवत
अलवर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि हम अपने धर्म को भूलकर स्वार्थ के अधीन हो गए, इसलिए छुआछूत चला. ऊंच-नीच का भाव बढ़ा, हमें इस भाव को पूरी तरह मिटा देना है. जहां संघ का काम प्रभावी है. संघ की शक्ति है, वहां कम से कम मंदिर, पानी, शमशान सब हिन्दुओं के लिए खुले होंगे, यह काम समाज का मन बदलते हुए करना है. सामाजिक समरसता के माध्यम से परिवर्तन लाना है. उन्होंने स्वयंसेवकों से सामाजिक समरसता, पर्यावरण, कुटुम्ब प्रबोधन, स्व का भाव और नागरिक अनुशासन इन पांच विषयों को अपने जीवन में उतारने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि जब इन बातों को स्वयंसेवक अपने जीवन में उतारेंगे, तब समाज भी इनका अनुसरण करेगा.
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‘अथातो बिंब जिज्ञासा’ विवेक जगाने वाला ग्रंथ : डॉ. मोहन भागवत
पुणे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि वर्तमान में विश्व विभिन्न मार्गों पर लड़खड़ा रहा है, रुका हुआ है. उसे भारत की परंपराओं से प्राप्त ज्ञान की आवश्यकता है. वह हमारे ज्ञान, भक्ति और कर्म के त्रिवेणी संगम से दिखा सकते हैं. वह दृष्टि देने का कार्य डॉ. देगलूरकर के ग्रंथ के माध्यम से हुआ है. ‘अथातो बिंब जिज्ञासा’ ग्रंथ विवेक जगाने वाला ग्रंथ है.
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