भारतीय मूल्यों पर व्यवस्था का निर्माण कर विश्व के समक्ष आदर्श स्थापित करना होगा : अरुण कुमार जी

नागपुर, 06 दिसम्बर। सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी) के सभागार में आयोजित ‘उत्तिष्ठ भारत’ प्राध्यापक संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार जी ने कहा कि भारतीय चिन्तन के प्रकाश में ही नए भारत का निर्माण होगा। इसके लिए भारत को आत्म-विस्मृति, आत्महीनता और परानुकरण की प्रवृत्ति से बाहर निकलना होगा। आत्मविश्वास से युक्त, विशुद्ध राष्ट्रभक्ति की भावना, संगठन और अनुशासन तथा आत्मगौरव से युक्त समाज के निर्माण से राष्ट्र का पुनरुत्थान होगा।

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स्वयंसेवक निष्काम भाव से समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देते रहे हैं – दत्तात्रेय होसबाले जी

संघ के शताब्दी वर्ष पर जम्मू में प्रमुखजन गोष्ठी आयोजित

जम्मू, दिसंबर 06। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में “प्रमुखजन गोष्ठी” का आयोजन कन्वेंशन हॉल, कैनाल रोड, जम्मू में किया गया। कार्यक्रम का मुख्य विषय था “संघ की 100 वर्ष की यात्रा और भविष्य की दिशा”, जिसमें संघ की अब तक की यात्रा, समाज में उसकी भूमिका और आने वाले समय की दिशा पर विस्तार से विचार रखा गया।

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100 वर्ष की संघ यात्रा – नए क्षितिज : तृतीय दिवस

100 वर्ष की संघ यात्रा – नए क्षितिज : तृतीय दिवस

अंतरराष्ट्रीय व्यापार केवल स्वेच्छा से होना चाहिए, दबाव में नहीं – डॉ. मोहन भागवत जी

संघ का कार्य शुद्ध सात्त्विक प्रेम और समाजनिष्ठा पर आधारित है – सरसंघचालक जी

तीन दिवसीय व्याख्यानमाला ‘100 वर्ष की संघ यात्रा – नए क्षितिज’ का दूसरा दिन

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संघ का निर्माण भारत को केंद्र में रखकर हुआ है और इसकी सार्थकता भारत के विश्वगुरु बनने में है – डॉ. मोहन भागवत जी

नई दिल्ली, 26 अगस्त. संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के प्रथम दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि संघ का निर्माण भारत को केंद्र में रखकर हुआ है और इसकी सार्थकता भारत के विश्वगुरु बनने में है। संघ कार्य की प्रेरणा संघ प्रार्थना के अंत में कहे जाने वाले “भारत माता की जय” से मिलती है। संघ के उत्थान की प्रक्रिया धीमी और लंबी रही है, जो आज भी निरंतर जारी है।

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