धर्म का ज्ञान वेदों से आता है क्‍योंकि वेदों का मूल सत्‍य में है- पूजनीय सरसंघचालक जी

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हमें छुआछूत के भाव को पूरी तरह मिटा देना है : डॉ. मोहन भागवत

अलवर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि हम अपने धर्म को भूलकर स्वार्थ के अधीन हो गए, इसलिए छुआछूत चला. ऊंच-नीच का भाव बढ़ा, हमें इस भाव को पूरी तरह मिटा देना है. जहां संघ का काम प्रभावी है. संघ की शक्ति है, वहां कम से कम मंदिर, पानी, शमशान सब हिन्दुओं के लिए खुले होंगे, यह काम समाज का मन बदलते हुए करना है. सामाजिक समरसता के माध्यम से परिवर्तन लाना है. उन्होंने स्वयंसेवकों से सामाजिक समरसता, पर्यावरण, कुटुम्ब प्रबोधन, स्व का भाव और नागरिक अनुशासन इन पांच विषयों को अपने जीवन में उतारने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि जब इन बातों को स्वयंसेवक अपने जीवन में उतारेंगे, तब समाज भी इनका अनुसरण करेगा.

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“कार्यकर्ता विकास वर्ग” राष्ट्रीय एकात्मता की अनुभूति देने वाला वर्ग है – परागजी अभ्यंकर

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संघ गीत – जय बोलो शिवराज हिन्दू महाराज आन और शान की ……..

विभाजन, आतंकवाद के दौरान राहत कार्य में सक्रिय रहा संघ

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