‘विश्व मूलनिवासी दिवस’ : भारत में प्रासंगिकता या विभाजन का षड्यंत्र?

हर साल 9 अगस्त को ‘विश्व मूलनिवासी दिवस’ दुनियाभर में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य उन मूलनिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा करना है, जिन पर उपनिवेशवाद या साम्राज्यवाद के दौरान अमानवीय अत्याचार हुए। परंतु प्रश्न यह है कि क्या यह दिवस भारत के लिए प्रासंगिक है? या इसे भारत के सामाजिक ताने-बाने में फूट डालने के षड्यंत्र के रूप में कुछ शक्तियाँ भुना रही हैं?

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विकास की भारतीय अवधारणा समग्र और प्रकृति के तालमेल बनाकर चलने वाली है – डॉ. मोहन भागवत जी

भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय शोधार्थी सम्मेलन विविभि 2024 का शुभारम्भ

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जम्मू-कश्मीर का भारत में अधिमिलन

भारत का विभाजन और आधिपत्य की समाप्ति कोई रियासत स्वतंत्र नहीं हो सकती थी

  • जब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ तो भारत में स्व-शासन आंदोलन तेजी से प्रगति कर रहा था। 12 मई, 1946 को स्टेट ट्रीटीस एवं पैरामाउंट का ज्ञापन कैबिनेट मिशन द्वारा चैंबर ऑफ प्रिंसेस के चांसलर के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
  • इसके बाद, 3 जून, 1947 को माउंटबैटन योजना की घोषणा कर दी गई। इस योजना की एक सलाह यह थी कि 562 रियासतें अपना भविष्य स्वयं तय करने के लिए स्वतंत्र हैं यानि वे भारत अथवा पाकिस्तान में से किसी एक को स्वीकार कर सकती हैं।

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दिवेर विजय ने मुगल आक्रांताओं के विरुद्ध झंडा थामे नायकों में प्रेरणा का संचार किया था – अरुण कुमार

उदयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने कहा कि दिवेर विजय सिर्फ मेवाड़ के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं थी, बल्कि यह भारत की विजय का शुभारंभ था. इस विजय ने भारतवर्ष में उन सभी नायकों में प्रेरणा का संचार किया, जो मुगल आक्रांताओं के विरुद्ध झंडा थामे हुए थे. यही वह समय था, जब भारत ने अपना शौर्यपूर्ण स्वाभिमान पुनः स्थापित करने की शुरुआत की. सह सरकार्यवाह सोमवार सायं प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ में एक माह से चल रहे दिवेर विजय महोत्सव के समापन समारोह में संबोधित कर रहे थे.

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भारत में भारत के लिए जिम्मेदार समाज कौन सा है – पू. सरसंघचालक जी

भारत में भारत के लिए जिम्मेदार समाज कौन सा है – पू. सरसंघचालक जी

संघ केवल संगठन मात्र नहीं, अपितु भारत के नवोत्थान का अभियान है : दत्तात्रेय होसबाले जी

जैसलमेर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने जैसलमेर प्रवास के दौरान बुधवार को शहीद पूनमसिंह स्टेडियम में बलिदानी पूनम सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया. तत्पश्चात नगर एकत्रीकरण में स्वयंसेवकों के प्रबोधन में कहा कि संघ केवल एक संगठन मात्र नहीं है, अपितु भारत के नवोत्थान एवं सर्वप्रकार के पुनरोदय का महाभियान है. राष्ट्र जीवन का महत्वपूर्ण आंदोलन है. सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश केटी थॉमस ने संघ को परिभाषित करते हुए कहा है – संघ ही भारत में लोकतंत्र की सुरक्षा और सुरक्षा की गारंटी है. सेना और पुलिस के समान संघ देश का सुरक्षा कवच है. सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश रहे श्री थॉमस के शब्दों से संघ की भूमिका को आसानी से समझा जा सकता है.

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हमें छुआछूत के भाव को पूरी तरह मिटा देना है : डॉ. मोहन भागवत

अलवर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि हम अपने धर्म को भूलकर स्वार्थ के अधीन हो गए, इसलिए छुआछूत चला. ऊंच-नीच का भाव बढ़ा, हमें इस भाव को पूरी तरह मिटा देना है. जहां संघ का काम प्रभावी है. संघ की शक्ति है, वहां कम से कम मंदिर, पानी, शमशान सब हिन्दुओं के लिए खुले होंगे, यह काम समाज का मन बदलते हुए करना है. सामाजिक समरसता के माध्यम से परिवर्तन लाना है. उन्होंने स्वयंसेवकों से सामाजिक समरसता, पर्यावरण, कुटुम्ब प्रबोधन, स्व का भाव और नागरिक अनुशासन इन पांच विषयों को अपने जीवन में उतारने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि जब इन बातों को स्वयंसेवक अपने जीवन में उतारेंगे, तब समाज भी इनका अनुसरण करेगा.

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भारत की पहली स्वदेशी मिडगेट पनडुब्बी ‘एरोवाना’ बनकर तैयार

भारत की पहली स्वदेशी मिडगेट पनडुब्बी “एरोवाना” बनकर तैयार, मझगांव डॉक शिपयार्ड लिमिटेड (MDL) ने किया है निर्माण, पानी के अंदर कमांडो ऑपरेशन में आएगी काम l

अ. भा. प्र. स. प्रस्ताव – भारत को स्वावलम्बी बनाने हेतु कार्यों के अवसर बढ़ाना आवश्यक

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तबलीगी ज़मात पर भारत में भी लगे पूर्ण प्रतिबन्ध : विश्व हिन्दू परिषद

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